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क्या है इमरान हाशमी और यामी गौतम की नई फिल्म 'हक' का संदेश? जानें नारीवाद पर उनके विचार!

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फिल्म 'हक' और नारीवाद पर यामी गौतम के विचार

मुंबई, 10 नवंबर। हिंदी फिल्म उद्योग में सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्मों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में अभिनेता इमरान हाशमी और अभिनेत्री यामी गौतम की नई फिल्म 'हक' का नाम सामने आया है, जो प्रसिद्ध शाहबानो केस पर आधारित है। फिल्म के प्रचार के दौरान, यामी ने नारीवाद और महिलाओं के अधिकारों पर अपने विचार साझा किए।


यामी गौतम ने फिल्म में शाजिया बानो का किरदार निभाया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज के दौर में नारीवाद के कई अर्थ हैं, और वह सभी प्रकार के नारीवाद से सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार, नारीवाद का असली अर्थ दूसरों से लड़ना नहीं, बल्कि अपने और अपने परिवार के लिए खड़ा होना है।


फिल्म के विषय में बात करते हुए यामी ने कहा, "यदि आपके पास एक ऐसी कहानी कहने का साहस है जो एक साहसी, सशक्त या नारीवादी महिला से प्रेरित है, तो वह नारीवाद का सही उदाहरण है।"


उन्होंने यह भी कहा कि आजकल नारीवाद के कई रूप सामने आए हैं, जिनमें से कुछ उनके अनुसार सही नहीं हैं।


यामी ने स्पष्ट किया, ''सही नारीवाद दूसरों से लड़ने या किसी को नीचा दिखाने के बारे में नहीं है। यह अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना, अपने बच्चों के लिए लड़ना और सही बात के लिए आवाज उठाना है। यही मेरा दृष्टिकोण है।''


फिल्म 'हक' की कहानी शाजिया बानो के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनका पति (इमरान हाशमी) एक प्रसिद्ध वकील है। वह दूसरी शादी करता है और शाजिया को तीन तलाक देकर छोड़ देता है, साथ ही गुजारा भत्ता देने से भी मना कर देता है। ऐसे में शाजिया न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाती है। इस दौरान उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और समाज उसके खिलाफ हो जाता है। क्या शाजिया को उसकी लड़ाई में न्याय मिलेगा? इसका उत्तर फिल्म देखने पर ही मिलेगा।


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